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नाटक

जबरदस्ती

डॉ. भारत खुशालानी


तकरीबन ३०-३५ वर्ष का एक आदमी बिस्तर पर लेटा है.बिस्तर से थोडा दूर कमरे में एक कुर्सी भी है.बिस्तर छोटा है. आदमी धीरे-धीरे यहाँ-वहाँ देखते हुए उठता है.आदमी अपने कपड़ों को देखता है. उसके कपडे पूरे काले हैं.आदमी अपने दोनों हाथ खोलकर बंद करते हुए देखता है कि हाथ काम कर रहे हैं या नहीं.आदमी बिस्तर से उठकर झुककर खड़ा हो जाता है मानों थका हुआ हो या तकलीफ में हो.वह पास की दीवार पर जाकर हाथ रखकर खड़ा हो जाता है.वह धीरे धीरे दीवार का सहारा लेकर चलने लगता है.आदमी कमरे में यहाँ-वहाँ देखता है.

आदमी १: कोई है ?

बाईं ओर के दरवाजे से एक आदमी अन्दर प्रवेश करता है.

आदमी २: सुप्रभात.

आदमी१ (कमरे की तरफ इशारा करते हुए):क्या है ये ?

आदमी २:कैसा लग रहा है ?

आदमी१ थोडा आगे बढ़ने की कोशिश करता है लेकिन लड़खड़ा जाता है. वह दीवार का सहारा ले लेता है.

आदमी २: आराम से. आराम से.

आदमी१ वहीँ खड़ा रहता है.

आदमी २: चलने से पहले थोडा आराम कर लो.

आदमी १: क्या हुआ ?

आदमी २: याद नहीं ?

आदमी१ सोचने की कोशिश करता है.

आदमी १: मुझे बेहोश करके यहाँ लाया गया है.

आदमी २: सही में ?

आदमी१ बहुत धीरे धीरे आदमी २ की तरफ बढ़ता है. फिर मानों अपनी शक्ति प्राप्त करने के लिए दूसरी तरफ जाता है.

आदमी २: तुम्हारा नाम क्या है ?

आदमी १:मिथिलेश.

आदमी २: मिथिलेश?

मिथिलेश: हाँ.

आदमी २: मैं तुम्हारा जीर हूँ.

मिथिलेश: इसका क्या मतलब हुआ ?

आदमी २: मेरा नाम परम है.

मिथिलेश: मैं वो नहीं पूछ रहा हूँ. मैं पूछ रहा हूँ कि जीर का मतलब क्या हुआ ?

अचानक मंच पर एक कोने की सफ़ेद बत्ती बंद होकर फिर चालू हो जाती है.मिथिलेश हडबडाकर बत्ती की दिशा में देखता है.

मिथिलेश: क्या हुआ ?

परम:कुछ नहीं. मैं अपने सब सिस्टम शुरू कर रहा हूँ.

मिथिलेश: मैं यहाँ पर क्या कर रहा हूँ ?

परम: क्या?

मिथिलेश: यह क्या जगह है ?

परम: जब तुमको भर्ती कर रहे थे, तबसमझाया था.

मिथिलेश: मेरे को तो ये भी नहीं मालूम कि मैं यहाँ पहुंचा कैसे ! मुझे किसी ने कुछ नहीं बताया है.

परम: मैं तुमको केवल जीर के आवास और सेवा का अभ्यस्तकरा रहा हूँ.

मिथिलेशपरम को घूर कर देखता है.

मिथिलेश: मैं कैदखाने में हूँ.

मिथिलेश गौर से चारों तरफ देखता है.

मिथिलेश:ये एक कैदखाना है.

थोडा रूककर मिथिलेश अच्छे से चारों तरफ देखता है.

मिथिलेश:मैंजीर की हिरासत में हूँ ?

परम: मुझे वह जानकारी नहीं है.

मिथिलेश: मैंने कुछ गलत नहीं किया है. किसकुसूर के लिए मुझे बंदी बनाया गया है ?

परम: तुम्हारा कोई कुसूर नहीं है.तुम कार्यवाही में हो.

मिथिलेश: कार्यवाही?

मिथिलेश सीधे परम की तरफ आ जाता है.

मिथिलेश: मुझे मालूम नहीं कि तुमको क्या लग रहा है कि मैंने क्या किया है,या तुमको क्या लग रहा है कि मैं कौन हूँ,लेकिन तुम गल्ती कर रहे हो.मैंने पहले कभी कोई गुनाह नहीं किया है. मैं पहले कभी जेल में नहीं गया हूँ.मुझे जीर से कोई लेना-देना नहीं है.मैं एक नागरिक हूँ. तुमअच्छी तरीके से एक बार जांच कर लो.

परम: मैं ऐसा नहीं कर सकता. मेरी वहाँ तक पहुँच नहीं है.

मिथिलेश: इसका क्या मतलब हुआ ?

परम: यहप्रोग्राम ऐसे ही काम करता है.

मिथिलेश: कैसे काम करता है ?

परम कोई जवाब नहीं देता है.

मिथिलेश: मैंअपने मोबाइल का इस्तेमाल कर सकता हूँ?

परम: मेरे ख्याल से नहीं.

मिथिलेश: मैं वकील कर सकताहूँ ?

परम: हम्म ... मुझे पता नहीं.

मिथिलेश: तुमको क्या मालूम है ?

परम: मुझे मेरा काम पता है.

मिथिलेश: क्या काम है तुम्हारा ?

परम: मेरा काम तुमको जिन्दा रखना है .

मिथिलेश आश्चर्य से परम की तरफ देखता है.

परम: शुरू करें ?

मिथिलेश हताश होकर वापिस बिस्तर पर जाकर बैठ जाता है.

परम:तुमको कुछ पीने के लिए चाहिए ?

मिथिलेश: नहीं.

परम: कुछ खाने के लिए ?

मिथिलेश: नहीं.तुम मुझे यहाँ कब तक रखोगे ?

परम:जब तक कार्यवाही पूरी नहीं हो जाती.

मिथिलेश: कार्यवाहीकब शुरू होगी ?

परम: मुझे वह जानकारीनहीं है.

मिथिलेश: तुम्हारे ऊपर कौन है ? मैं उससे बात कर सकता हूँ ?

परम: मेरे ऊपर कोई नहीं है.

मिथिलेश: ऐसा कैसे हो सकता है ?

परम: क्योंकि यह एक कंप्यूटर प्रोग्राम है.

मिथिलेश: एक कंप्यूटर तुम्हारे ऊपर है ?! तुम एक कंप्यूटर के आदेश का पालन कर रहे हो ?!

परम: नहीं, ...

मिथिलेश उसकी बात काट देता है.

मिथिलेश:ऐसा कोई तो होगा जिसको पता होगा कि मैं यहाँ पर क्यों हूँ. तुम उनसे बात कर सकते हो ?

परम: तुम्हारा पारिवारिक नाम क्या है ?

मिथिलेश: हराघर.

मिथिलेशजोर देकर दोहराता है.

मिथिलेश: हराघर.

परम: मिथिलेश हराघर.

मिथिलेश: तुम जांच करोगे ?

परम: किसचीज़ की?

मिथिलेश:कि मैं यहाँ क्यों हूँ !

परम: मेरी वहाँ तक पहुँच नहीं है.

मिथिलेश(खीजकर): तुम मुझे बिना मेरा कसूर बताये यहाँ पर नहीं रख सकते.मेरे भी कुछ अधिकार हैं.मुझे यह जानने का अधिकार है कि मैं यहाँ पर क्यों लाया गया हूँ.

परम: वह पहले ही बताया जा चूका है.

मिथिलेशअपने हाथों को मुठ्ठी में भींचता है.

मिथिलेश: ऐसा कुछ भी पहले किसी ने नहीं बताया है !

मिथिलेश बिस्तर की तरफ इशारा करता है.

मिथिलेश: मैं यहाँ इस बिस्तर पर सोया पड़ा था.किसी से कोई गल्ती हो गई है और तुम थोड़ीसी जांच नहीं कर सकते ?

परम: मेरी वहाँ तक पहुँच नहीं है.

मिथिलेश अपने हाथ हवा में फहराता है.

मिथिलेश: बिलकुल सही ! तुम्हारी वहाँ तक पहुँच नहीं है !

परम चुप रहता है. मिथिलेश कुछ पलों के लिए यहाँ-वहाँ टहलता है.

मिथिलेश (अपने आप से):किसी को नहीं पता है.

परम: किसचीज़ के बारे में ?

मिथिलेश: कि मेरे साथ क्या हुआ है. मेरे मित्र, मेरे परिवारवाले ... उनकी नज़रों में मैं गायब हो चुका हूँ.

परम: कहाँ से हो तुम ?

मिथिलेश पहले सोचता है कि जवाब देना चाहिए या नहीं.

मिथिलेश: उत्तर प्रदेशसे.

परम: सही में ? तुम वहीँ बड़े हुए ?

मिथिलेश: तुम कहाँसे हो ? (फिर, व्यंग से) या तुम्हारे पास वह जानकारी भी नहीं है ?

परम: मैंबिहारके एक छोटे से गाँव से हूँ.

मिथिलेश: तुम्हारी भाषा से तो लगता नहीं कि तुम बिहार के एक छोटे से गाँव से हो.

परम: मैं बिहार में पैदा हुआ था, लेकिन मैं बैंगलोर में पला-बढ़ा हूँ.

मिथिलेश('सही' पर जोर देकर): सही में ? क्या बात है !

मिथिलेश कुर्सी पर आकर बैठ जाता है.

मिथिलेश: बिहार के एक छोटे से गाँव से आने वालाकोई भी व्यक्ति जीर में क्यों शामिल होगा ?

परम: यह भी एक काम है, और क्या !

मिथिलेश: काम!(हाथ चारों तरफ घुमाते हुए) तुम्हारा काम लोगों को ये करना है !

मिथिलेश कुर्सी से उठता है.

मिथिलेश: ऐसेकरने के खिलाफ कानून हुआ करते थे.नागरिक अधिकार.कानूनकी उचित प्रक्रिया. संवैधानिक अधिकार.ये सब तुमको पता हैं ?

परम: वहमेराविभाग नहीं है.

मिथिलेश: नहीं. तुम सिर्फ लोगों पर नज़र रखते हो और उनकी आज्ञा का पालन करते हो.तुम जिस चीज़ का हिस्सा हो, उसकी थोड़ी जवाबदारी लो. तुम मुझे यहाँ रख रहे हो. मैं तुम्हारी जिम्मेदारी हूँ.येतुम्हारा विभाग है.

परम: तुम क्या काम करते हो ?

मिथिलेश थककर फिर कुर्सी पर बैठ जाता है और अपने सर को रगड़ता है.

मिथिलेश: तुम अलग ही आदमी हो.

मिथिलेश को अचानक कुछ सूझता है. वो फिर खड़ा हो जाता है.

मिथिलेश: मैं कब से यहाँ पर हूँ ?

परम: अ ... मुझे पता नहीं. जबमैंने शुरू किया तो तुम सो रहे थे.

मिथिलेश: तुमये बता सकते हो कि कोईमेरे घर गया था?

परम: तुम्हारे घर में क्या है ?

मिथिलेश: मैं सिर्फ ये जानना चाहता हूँ कि मेरे यहाँ आने के बाद कोई मेरे घर गया था या नहीं.

परम: क्यों?

मिथिलेश: तुम एक फ़ोन करके यह पता लगा सकते हो या किसी से पूछ सकते हो ?

परम: मैं ऐसा नहीं कर सकता.

मिथिलेश(रोष में): तुम एक फ़ोन नहीं कर सकते ?!

परम: यहप्रोग्राम ऐसे काम नहीं करता है.

मिथिलेश (झल्लाहट में): प्रोग्राम!

मिथिलेशमुक्का बनाकर परम को मारने के लिए जाता है. जैसे ही वोपरम को मुक्के से वार करने के लिए हाथ उठाता है, सब बत्तियां बंद हो जाती हैं. मिथिलेश हक्का-बक्का होकर वहीँ जम जाता है.मंच पर अँधेरा छा जाता है.थोड़ी देर के बाद मिथिलेश गुमसुम-सा एक कोने में बैठ जाता है.एक-एक करके मंच पर बत्तियां वापिस जलती हैं.मिथिलेश सहमा-सा परम की तरफ देखता है.

मिथिलेश: मुझे बाथरूम जाना है.

परम: सामने है.

मिथिलेश सामने वाली दीवार से मंचके अन्दर जाता है और कुछ ही पलों में वापिस आ जाता है.

मिथिलेश: बाथरूम तो बड़ा साफ़-सुथरा है.

परम: मैं ही इसकी देखभाल करता हूँ.

मिथिलेश: यहाँ खाने का प्रबंध है ?

परम: सामने झरोके में खाने की थाली है.

मिथिलेश सामने की दीवार की तरफ से मंच के अन्दर जाता है औरखाने की थाली लेकर आता है. बिस्तर पर बैठकर, वह चम्मच से खाने लगता है.

मिथिलेश(मूंह बनाकर): यह क्या है ?

परम: खिचड़ी.

मिथिलेश:कुछऔर मिल सकता है ?

परम: खिचड़ी में वह सब कुछ है जो तुम्हेंताकत के लिए चाहिए.

मिथिलेश (थाली को परम की तरफ दिखाते हुए): तुमने इसका स्वाद चखा है ?

परम: मुझे वह जानकारीनहीं है.

मिथिलेश परम के इस उत्तर से हैरान हो जाता है. थाली को बिस्तर रखकर वह धीरे से उठ खड़ाहोता है.

मिथिलेश: इसका क्या मतलब हुआ ?

परम: किसका?

मिथिलेश यहाँ-वहाँ देखता है. फिर कुछ सोचकर बोलता है,

मिथिलेश:परम.

परम: बोलो मिथिलेश.

मिथिलेशअपना हाथ अपने चेहरे पर घुमाता है. फिर दोहराता है, लेकिन दबी आवाज़ में.

मिथिलेश: परम.

परम: बोलो मिथिलेश.

अबकी बार मिथिलेश थोड़ी जोर की आवाज़ में दोहराता है.

मिथिलेश: परम.

परम(उसी आवाज़ में): बोलो मिथिलेश.

मिथिलेश(फिर आवाज़ बदलकर): परम.

परम(उसी आवाज़ में): बोलो मिथिलेश.

मिथिलेश(एकदम जोर से): परम.

परम(उसी आवाज़ में): बोलो मिथिलेश.

मिथिलेश(प्रश्न की शैली में): परम?

परम(उसी आवाज़ में): बोलो मिथिलेश.

मिथिलेश(हैरानगी की शैली में): परम!!

परम(उसी आवाज़ में): बोलो मिथिलेश.

मिथिलेश ३-४ अलग-अलग प्रकारसे परम को आवाज़ लगाता है. परम उसी शैली में वही दोहराता है. फिर,

मिथिलेश:हेभगवान्!

परम: क्याहुआ?

मिथिलेश: मुझे पहले कैसे नहीं पता चला इसके बारे में ?!

परम: किस बारे में ?

मिथिलेश: तुमआदमी नहीं, रोबोट हो ! मैंने इतनी देर से रोबोट से बात कर रहा था !

परम कोई जवाब नहीं देता है. मिथिलेश जोर जोर से दीवारों को लातें मारता है.

मिथिलेश(जोर से, चिल्लाकर): कोई है ? मुझे बाहर निकालो.

परम: मैं तुम्हारेकिसी प्रश्न का उत्तर दे सकता हूँ ?

मिथिलेश: मेरे प्रश्नों का उत्तर ?! तुमने मेरे एक प्रश्न का उत्तर नहीं दिया है ! तुमको कुछ पता नहीं है.तुमको वह जानकारी नहीं है !

मिथिलेश(जोर से चिल्लाता है): कोई है ?

मिथिलेश(परम से): तुम किसी जीवित आदमी को लाइन पर लाओ और मेरी उससे बात कराओ. या तो किसी जीवित व्यक्ति को यहाँ लेकर आओ.क्योंकिमैं तुम्हारे से कोई बहस नहीं करना चाहता.

परम: मैंकोई बहस नहीं कर रहा हूँ.

मिथिलेश: तुम मेरी बात नहीं सुन रहे हो.बहुत हो गया.तुमको सिर्फ बात करना आता है.

मिथिलेश चिडचिड़ाकर हाथ ऊपर उठाता है.

मिथिलेश: हे भगवान् ! बात करना तो तुमको बहुत अच्छे से आ गया है.स्वभाव में तुमको थोडा नरमदिल बना दिया है. जो समय-समय पर तुम बातों में परिवर्तन करते हो, वोतो क्या बात है !

परम की तरफ से कोई आवाज़ नहीं आती है.

मिथिलेश: क्या बात है ! बहुत खूब !

परम: धन्यवाद.

मिथिलेश(खीझकर): ये जो तुमने 'धन्यवाद' बोला दोस्त, इसको ताना मारना बोलते हैं, समझे क्या ?

जाहिर है, ये तुमने अभी सीखा नहीं है.

मिथिलेश मंच पर यहाँ-वहाँ तेज़ी से घूमता है.

मिथिलेश: हे भगवान् ! आह....

थोड़ी देर तेज़ी से घूमने के बाद मिथिलेश वापिस कुर्सी पर आकर बैठ जाता है.

मिथिलेश: एक मिनट. तुमने कहा था कि तुम बिहार के एक छोटे से गाँव से हो.और अब तुम बैंगलोर में रहते हो. इसकाक्या मतलब हुआ ?

परम: मुझेबिहार में कुछ छात्रों ने बनाया था.उसके बाद मुझे बैंगलोर भेजा गया जहां पर माइक्रोसॉफ्ट में मुझमे प्रोग्राम भरा गया.

मिथिलेश: हा! बहुत बढ़िया ! कमाल की मशीन हो तुम ! क्या वार्तालाप कर लेते हो तुम ! सिरी, अलेक्सा, गूगल, सबको पीछे छोड़ दिया तुमने !

मिथिलेशहाथों को घुटने पर रख देता है.

मिथिलेश: मुझेतो इस बात का गर्व होने चाहिए कि तुम्हारे जैसी मशीन मेरी देखभाल के लिए रखी गई है.

परम: तानामार रहे हो तुम ?

मिथिलेश: क्या सीखने की कला है तुम्हारी ! अभी अभी तो मैंने तुम्हें ताना मारने का मतलब बताया था ! इतना जल्दी सीख गए तुम !

मिथिलेश यहाँ-वहाँ देखता है. उसे समझ में नहीं आता है कि क्या करना चाहिये.

मिथिलेश: मैं कंप्यूटरों और रोबोटों से घृणा करता हूँ.

परम: क्यों?

मिथिलेश(ताना मारने के लहजे में): अनुमान लगाओ क्यों !

परम: मुझे लगता है कि ऐसा इसीलिए हो सकता है ...

मिथिलेश बीच में ही परम की बात काट देता है.

मिथिलेश: अनुमान मत लगाओ यार ! (थोडा रूककर) कुछ चीज़ों का कंप्यूटरीकरण नहीं हो सकता है.

परम: इसका क्या मतलब हुआ ?

मिथिलेश उसका जवाब न देकर कुर्सी पर टिक जाता है.

परम:जितने भी प्राथमिक सेवाओं के लिए मेरे अन्दर प्रोग्राम भरे गए हैं, वो सभी सेवाएं मैं प्रदान कर सकता हूँ.

मिथिलेश: कोई भी ?

परम: जो मेरे दायरे के भीतर हैं.

मिथिलेश (कुर्सी से उठते हुए): एक मिनट, एक मिनट.तुम्हारी प्राथमिक सेवायें क्या हैं ?

परम: मेरा काम तुम्हें जिंदा रखना,और तुम्हें संतुलित रखना है.

मिथिलेश: संतुलित रखना ... इसका क्या मतलब हुआ, संतुलित रखना ?

परम: ताकि तुम परिधि के बाहर न चले जाओ.

मिथिलेश(हंसी उड़ाते हुए): परिधि?! परिधि के बाहर ?!

परम: ताकि तुम नियंत्रण से बाहर न चले जाओ.

मिथिलेश: नियंत्रण से बाहर ?!

परम: तुमको इसी कमरे के दायरे में रखना जब तक प्रसंस्करण पूरा नहीं हो जाता.

मिथिलेश: प्रसंस्करण?? प्रसंस्करण मतलब ?

परम: जैसे बाहर देशों से कोई आता है तो पहले जितनी भी आधिकारिक कार्यवाही होती है.

मिथिलेश: पर मैं बाहर देश से नहीं आया हूँ.

परम: मैं उदाहरण दे रहा था.

मिथिलेश: मैं किसी कार्यवाही के लिए रुका हुआ नहीं हूँ.

मिथिलेश कुछ सोचता है.

मिथिलेश: यही कार्यवाही है. शायद जो कुछ हो रहा है, वही प्रसंस्करण है.

परम: और खाना चाहिए ?

मिथिलेश: नहीं. इतनी अच्छे स्वाद वाली खिचड़ी और नहीं पचेगी.

परम: मुझे नहीं लगता कि यह ताना जो मारते हैं, वह मुझे समझ में आएगा.

मिथिलेश: माइक्रोसॉफ्ट वालों को बोल दो कि ताना मारने का सॉफ्टवेर डालकर अपग्रेड कर दें.

परम: मैं नहीं बोल सकता हूँ.

मिथिलेश: क्यों?

परम: मुझे इजाज़त नहीं है.

मिथिलेश: मेरीकार्यवाही की जानकारी भी नहीं दी उन्होंने तुमको.

परम: नहीं.

मिथिलेश: तुमको लगा कि मेरी कार्यवाही पूरी हो गई है.

परम: मुझे एक बात बताओ.

मिथिलेश: बोलो.

परम: उन्होंने मुझे क्यों नहीं बताया ?

मिथिलेश: मुझे नहीं पता.शायद इसीलिए कि अगर तुम्हारी कोई हैकिंग कर लेता है तो उसको कोई भी जानकारी नहीं मिलनी चाहिए. मेरे बारे में भी नहीं, मेरी कार्यवाही के बारे में भी नहीं.

परम: शायद यही कारण होगा. आजकल कंप्यूटरों की हैकिंग करके सब जानकारी हासिल कर लेते हैं.

मिथिलेश: तुमने ये काम पहले किसी और पर नहीं किया है ?

परम: कौन सा काम ?

मिथिलेश: यही सब जो तुम मेरे साथ कर रहे हो ? मेरी देखभाल, मेरी रक्षा या जो भी तुमको बोला गया है.

परम:मुझे पहली बार यह कार्य सौंपा गया है.

मिथिलेश: ऐसा तुमको लगता है.

परम: मतलब?

मिथिलेश:हो सकता है हर बार ऐसा काम कराने के बाद वो लोग तुमको रिबूट या रीस्टार्ट कर देते हों जिससे तुम्हारी याददाश्त पूरी साफ़ हो जाती हो.हो सकता है कि यह काम तुमने पहले कईयों पर किया हो.और उन लोगों ने तुम्हारे को कुछ भी नहीं बताया हो.अगर ऐसा है, तो जैसे मैं कैदी हूँ, वैसेही तुम भी उन लोगों के कैदी हो.

परम:जब तुम बोल रहे थे कि कुछ चीज़ों का कंप्यूटरीकरण नहीं हो सकता है, ... इसका क्या मतलब है ?

मिथिलेश: उससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

परम: फिर भी ?

मिथिलेश:जब कोई बहुत बीमार पड जाता है तो उसको मशीन पर लगा देते हैं.मशीन पर लगाकर उसको जिंदा रखते हैं.जितनी उसकी ज़िन्दगी है, उससे ज्यादा उसको जिंदा रखते हैं मशीन लगाकर.तुमको क्या लगता है, यह एक वरदान है ? लोग शान्ति से जाना चाहते हैं.और जाने के लिए शायद वो तैयार भी हैं.लेकिन मशीन उनसे वह स्वाभिमान की मौत छीन लेती है.मशीन उनको एक ऐसी ज़िन्दगी देती है जिसमें वो जिंदा नहीं हैं.सभी लोग विस्मय के साथ बोलते हैं, "देखो ये मशीन क्या कमाल की है". कोई रूककर यह नहीं सोचता है कि यह मशीन क्या नहीं कर सकती है.अच्छे से अच्छे दमदार लोग भी मशीन से टूट जाते हैं.बड़े बड़े नामी नेता अभिनेता मशीन पर जब लगते हैं तो रस्ते पर पड़े हुए भिखारी की तरह लगते हैं.कभी कभी ज़िन्दगी को सिर्फ उतने ही जीवन के रूप में देखना चाहिए जितना कि वो है, बिना मशीन के.मुझे नहीं लगता है कि भविष्य उज्जवल है.लेकिन शायद सिर्फ मेरा ही ऐसा मानना है. दूसरे लोग आजकल के कंप्यूटर और मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण देखते हैं और उनको लगता है कि भविष्य में बहुत कुछ नायाब होने वाला है.

परम:अच्छा तर्क है.

मिथिलेश: प्रश्न ये है कि वाकई में ये तर्क तुमको अच्छा लग रहा है या तुम्हारे पास कई विकल्प हैं जिनमें से तुमने एक चुनकर कह दिया कि अच्छा तर्क है.

परम: आलंकारिक.

मिथिलेश: आलंकारिक मतलब ?

परम: ऐसा प्रश्न जिसका जवाब देने की जरूरत नहीं है.

मिथिलेश: तुमअत्याधुनिक हो. आलंकारिक प्रश्नों और वाक्यों की भी पहचान है तुम्हें. आम जनता के लिए जो मोबाइल और कंप्यूटर मिलते हैं, उन्होंने व्याकरण में और वाक्यों को पहचानने में इतनी तरक्की नहीं की है.

परम: मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ.

मिथिलेश: सही में ?

परम: वो भी मेरे उद्देश्यों में से एक है.

मिथिलेश: मैं तुमको नहीं रोकूंगा मेरी मदद करने के लिए.

परम: एकगल्तीमुझे मिली है.

मिथिलेश: गल्ती ?

परम: तुमको लाने वाले और तुम्हारा स्थानांतरण करने वाले अलग अलग थे.

मिथिलेश:इसका क्या मतलब हुआ ?

परम:जहां तुमको भेजा गया था, वहाँ से तुमको लाया गया है.

मिथिलेश: मुझे समझा नहीं.

परम: जिस जगह पर तुमको भेजा गया था, वहाँ से किसी और को लाना चाहिए था.

मिथिलेश: यह गल्ती है?

परम: किसी और के बदले तुमको यहाँ ला लिया गया है.

मिथिलेश: मुझे तो वह भी याद नहीं जहां मुझको ले जाया गया था और जहां से मुझे यहाँ ले आया गया है.

परम: जहां तुमको भेजा गया था, वहाँ और भी थे.

मिथिलेश: तो इस गल्ती को सुधारने के लिए हम क्या कर सकते हैं ?

परम:अगर मैं अपने खुद के लिए मेंटेनेंस निवेदनडाल दूं, तो जो मेरा रख-रखाव करते हैं,वो शायद आ जाएँ यहाँ. तब उनसे बात हो सकती है.

मिथिलेश:रख-रखाव का आवेदन कैसे डालते हैं ?

परम: ईमेल करके.

मिथिलेश: किसी और को ईमेल करना पड़ेगा ?

परम: अगर मुझे कुछ हो जाता है, तो सिस्टम खुद ही ईमेल कर देता है.

मिथिलेश: सिस्टम अपने आप ईमेल कर देगा रख-रखाव करने वालों को ?

परम: हाँ. फिर वो यह देखने आ जायेंगे कि मुझमें कौन सी खराबी आ गईहै जिसके कारण सिस्टम ने ईमेल भेजी है.

मिथिलेश: समझ गया मुझे.

इसके पहले कि परम और कुछ बोल पाता, मिथिलेश अचानक ही कूदकर परम को जोर से मुक्का मार देता है. मंचके चारों कोनों पर लगी सफ़ेद बत्तियां बंद-चालू होने लगती हैं. साईरन बजने की आवाज़ आती है. मंच के ऊपर बीच में लगी लाल बत्ती भी बंद-चालू होने लगती है.मिथिलेश हैरानी से इधर-उधर देख रहा होता है कि अचानक सामने के दरवाजे से दो इंजिनियर और एक डॉक्टर अन्दर आ जाते हैं. दोनों इंजिनियर मिथिलेश को पकड़ लेते हैं. मिथिलेशबलपूर्वक विरोध करने की कोशिश करता है मगर सफल नहीं हो पाता है. डॉक्टर मिथिलेश को एक सुई लगा देता है जिससे मिथिलेश बेहोश हो जाता है.

मिथिलेश के बेहोश होते ही लाल बत्ती बंद हो जाती है और सफ़ेद बत्तियां वापिस पूरी चालू हो जाती हैं.दोनों इंजिनियर परम की तरफ देखते हैं.

पहला इंजिनियर: देखो क्या हालत कर दी बेचारे की.

दूसरा इंजिनियर: सिर्फऊपर की चोट है,और कुछ नहीं.

पहला इंजिनियर: चलो अच्छा है,प्रोग्राम और सिस्टम से तो कोई छेड़खानी नहीं कर पाया.

दूसरा इंजिनियर (बेहोश हुए मिथिलेश की तरफ इशारा करते हुए): हाँ.बड़ी पहुंची हुई हस्ती है ये. पता नहीं कितनों के कंप्यूटर में वायरस डाल चूका है.

पहला इंजिनियर: अपने वायरस से और अपनी बातों से कंप्यूटरों को अपने बस में कर लेता है.

दूसरा इंजिनियर:बड़ी मुश्किल से पकड़ में आया है.

पहला इंजिनियर:अगरये अपने लिए काम करने लगे तोसही हो जाएगा.

दूसरा इंजिनियर:इसीलिए तो इसके अन्दर हमदर्दी जगाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि ये कंप्यूटरों और मशीनों के खिलाफ होने के बजाये उनके पक्ष में हो जाए.

दोनों इंजिनियर मिथिलेश को बिस्तर पर रख देते हैं, और परम को ध्यान से देखते हैं कि उसे कहीं गहरी चोट तो नहीं लगी है.


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